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नई दिल्ली:केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ सख्त रुख अपना रही है। इसके तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद तक की सजा और दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई है।
खाद्य उत्पाद विनियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून की जगह प्रस्तावित नए कानून को सख्त बनाने का समर्थन किया है। इसके तहत ये सिफारिशें की गई हैं। एफएसएसएआई ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो खाद्य पदार्थ में किसी ऐसे पदार्थ की मिलावट करता है जो मानव उपभोग के लिए घातक है और इससे उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को किसी तरह का नुकसान हो सकता है या मृत्यु हो सकती है , उस व्यक्ति को कम से कम सात साल की सजा दी जा सकती है और इस सजा को बढ़ाकर उम्रकैद तक किया जा सकता है। इसके अलावा उस व्यक्ति पर कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया सकता है।
मिलावट करने वाले व्यक्ति को उस स्थिति में सजा मिलेगी जबकि मिलावटी पदार्थ से किसी का नुकसान न भी हुआ हो। नियामक ने कहा कि यह कदम ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठाया जा रहा है , जो खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। ऐसे में खाद्य पदार्थ उपभोग के लिए खतरनाक हो जाता है।
सौ से ज्यादा संशोधनों का प्रस्ताव दिया
एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए पुराने कानून में सौ से ज्यादा संशोधनों का प्रस्ताव दिया है। इस पर दो जुलाई तक आम लोगों के सुझावों को भी शामिल कर लिया जाएगा। संसद में लंबित उपभोक्ता संरक्षण विधेयक में भी मिलावट के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
सिंगापुर के कानून की तरह कठोर प्रावधान
नया कानून सिंगापुर के सेल्स ऑफ फूड एक्ट की तर्ज पर बनाया गया है, जो मिलावट को गंभीर अपराध मानता है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए कड़ी सजा का प्रस्ताव किया है। अदालत ने खाद्य पदार्थों में मिलावट या ऐसे मिलावटी पदार्थ बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की हिमायत की है।
राज्यों में भी खाद्य सुरक्षा एजेंसियों का गठन होगा
सामान जब्त करने से रोकने पर भी कड़ी सजा
खाद्य सुरक्षा अफसरों को धमकी-हमले पर भी सजा
मिलावटी पदार्थों की जांच का खर्च भी आरोपी से वसूला जाएगा
दूसरे देशों को बेचा गया मिलावटी सामान भी अपराध की श्रेणी में
Input Brij Mohan Thenua
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