Visitors have accessed this post 470 times.

कालपी नगर मे प्रमाणित हो कि महिलाएं आज के दिन की जेठ अमावस्या को सुहागन महिलाएं पूजा की थाली लेकर वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं।आज के दिन वट सावित्री व्रत रखकर महिलाएं वृक्ष के नीचे कथा के अनुसार मैं जिससे विवाह कर रही हूं उनकी अल्प आयु है जब उनसे यह बात पूछी गई तो उनका उत्तर था कि भारतीय नारी एक बार जिसको पति मान लेती है उसीसे विवाह करती है। मेने सत्यवान को ही अपना पति मान लिया है ।कुछ समय के बाद सत्यवान की मृत्यु हो गई सावित्री अपने पति के सर को गोद में रख कर एक वट वृक्ष के नीचे बैठी थी उसी समय भगवान यमराज आपने कई यम दूतों के साथ आए और सत्यवान के प्राण लेकर चल दिए कुछ दूर चलने के बाद जब यमराज ने देखा तो सावित्री भी पीछे पीछे आ रही थी यमराज ने कहा तुम वापस लौट जाओ मगर सावित्री नही लौटी और कहा में वही रहूंगी जिस पर यमराज ने कहा ठीक है तुम मुझसे तीन वर मांग लो और वापस चली जाओ सावित्री ने प्रथम वर मे अपने अंधे सांस ससुर की ज्योति मांगी द्वितीय वर मे अपने ससुर का खोया हुआ राज्य मांगा और तीसरे वर मे 100 पुत्रो की मां बनने का वरदान मांगा यमराज ने कहा तथास्तु। सावित्री को 100 पुत्रो की मां बनने के वरदान देने से यमराज को उनके पति के प्राण लौटाने पड़ें। और सावित्री वापस उसी वट वृक्ष के नीचे आ गई जहां कुछ देर बाद ही उनके पति जीवित हो गए।तब से सभी सुहागन भारतीय स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र के लिए यह वृत करने लगी। जिसके अनुसार महिलाएं वृत रखकर वट वृक्ष( बरगद) की विधि विधान से पूजा करती है। तथा सरबत खरबूजा अर्पित कर वृक्ष मे कच्चे धागे को लपेटते हुए परिकृमा कर अपने सुहाग को अमर करने का वरदान मांगती है।वही इस पूजा पर लॉक डाउन का भारी असर दिखाई दिया |

INPUT – योगेश द्विवेदी