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ब्रज में बुधवार को आए बवंडर ने चंद मिनटों में ऐसी तबाही मचाई कि 16 लोग काल के गाल में समा गए। भयंकर तूफान से शहर से देहात तक सैकड़ों पेड़, होर्डिंग, टीनशेड, खंभे उखड़ गए। कई जगह मकान और दीवार ढह गईं। आगरा के अछनेरा और डौकी में तीन-तीन जबकि ताजगंज में दो लोगों की मौत हो गई। मथुरा और फिरोजाबाद में चार-चार लोगों की मौत हो गई।

जनहानि के साथ तूफान का कहर ताजमहल पर भी टूटा। विश्वविख्यात इमारत के दो गेटों की मीनारें गिरने के साथ मुख्य स्मारक को भी नुकसान हुआ। तूफान जनित हादसों में चार दर्जन से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। बवंडर में करोड़ों की हानि की भी सूचना है। वहीं कई इलाके पानी में डूब गए। गेहूं की 80 फीसदी तक फसल नष्ट हो गई।

ताजनगरी में शाम 7.30 बजे एकाएक बिजली गड़गड़ाने के बाद बादल घिरने लगे। तूफान का वेग उठा और चंद पलों में रौद्र रूप धारण कर लिया। लोग संभल पाते, तब तक ओलावृष्टि और भारी बारिश होने लगी। चंद मिनट में ही बवंडर पूरे ब्रज में फैल गया। तबाही का मंजर इतना विकराल हुआ कि हजारों पेड़, सैकड़ों होर्डिंग, बैनर, टीनेशड तहस-नहस हो गए। पानी की टंकियां छतों से उड़ गईं। तमाम घरों की दीवारें गिर गईं।

शहर में वाटरवर्क्स गऊशाला की दीवार कई मकानों पर जा गिरी। पुलिस कंट्रोल रूम की छत गर गई। कई पुलिसकर्मी बाल-बाल बच गए। तमाम घरों और दुकानों में पानी घुस गया। आगरा के कपड़ों के थोक बाजार रोशन मोहल्ला में दुकानों में पानी भरने से करोड़ों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा था। इधर, देर रात भीमनगरी का मंच गिर गया। बड़े-बड़े झूले धराशायी हो गए।

हादसों में अछनेरा के अगनपुरा में चंद्रवती, नागर में कलुआ व गांव कुकथला में निर्मला की मौत हो गई। डौकी के गांव सरवनखेड़ा में 70 वर्षीय ठाकुर दास के ऊपर दीवार गिर पड़ी। जबकि सुल्तानपुरा में भी दो लोगों की मौत होने की सूचना थी। ताजगंज के महुआ खेड़ा में दीवार के नीचे दबने से 80 वर्षीय गौरीशंकर और एक बंजारे की मौत हो गई।

मंजर इतना भयंकर था कि चहुंओर से हादसों की खबर आ रही थी। अस्पतालों में हर ओर से घायल उपचार को लाए जा रहे थे।
मथुरा के फरह में एक मकान गिरने से एक ही परिवार के करन (7)  विशाखा (3) और नट्टू (4) की मौत हो गई। वहीं टंकी गिरने से एक वृद्धा की मौत हो गई। फिरोजाबाद में अलग-अलग स्थानों पर दीवार गिरने से दो किशोर, 70 वर्षीय वृद्ध और एक अधेड़ की मौत हो गई। एटा और कासगंज में आंधी, बारिश ओर ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है।

मथुरा और फिरोजाबाद में कई जगह जलभराव हो गया। फिरोजाबाद के मक्खनपुर में कारखानों की दो चिमनी टूट गई हैं, फिरोजाबाद में दो मकान गिर गए।
ब्रज में ब्लैक आउट 
तूफानी तबाही के चलते ब्रज में शाम 7.30 बजे से ही ब्लैक आउट हो गया। बिजली विभाग को सबसे ज्यादा नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। पोल टूटकर सड़कों पर गिर पड़े। कई स्थानों पर बड़े फॉल्ट हो गए, सिकंदरा और बोदला फीडर पर पेड़ टूटकर गिर पड़े।

तूफान की तबाही से रेलमार्ग बुधवार रात चार घंटे ठप रहा। आगरा-दिल्ली और आगरा-झांसी रूट की 18 से अधिक ट्रेनें बीच रास्ते में खड़ी रहीं। इस दौरान देर रात यात्रियों को बरसात में खासी दिक्कतों का सामाना करना पड़ा।

कीठम रेलवे स्टेशन से मनिया रेलवे स्टेशन तक करीब 40 कि.मी रेलमार्ग पर ओवरहैड इलैक्ट्रिक लाइन क्षतिग्रस्त होने से आगरा-दिल्ली और आगरा-झांसी रूट की ट्रेनों के पहिये थम गए। नई दिल्ली भोपाल शताब्दी, स्वर्णजयंती, राजधानी सहित 18 ट्रेनें करीब तीन घंटे तक आउटर पर देर रात खड़ी रहीं।

लखनऊ एक्सप्रेस वे के टोल का उड़ा बूथ
तूफान और बारिश से लखनऊ एक्सप्रेस वे के टोल प्लाजा का बूथ उड़ गया। टोल प्लाजा पर अफरातफरी मच गई। बारिश होने पर एक्सप्रेस वे पर यातायात प्रभावित हुआ। टोल प्लाजा  के बूथ नंबर 12 हवा में उड़ गया। इससे वहां मौजूद कर्मचारियों में अफरातफरी मच गई।

कारोबार को नुकसान @ 150 करोड़
दो बार बंद में पटरी से उतरा कारोबार बुधवार रात तूफान और बारिश में फिर तबाह हो गया। बिजली न होने की वजह से नुकसान का फिलहाल सही आकलन नहीं हो सका। फिर भी अनुमान है कि आगरा के कारोबार जगत को मौसम की इस टेढ़ी निगाह ने 150 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की चपत लगा दी।

 उजड़े खेत, बही फसल, बर्बाद हुआ किसान

कुदरत की मार बुधवार रात सबसे अधिक किसानों पर टूटी। तबाही का मंजर सबसे अधिक खेतों में देखने को मिला। खेत के खेत उजड़ गए। गेहूं सहित अन्य सभी तरह की फसलें पानी में बह गईं और किसान पूरी तरह बर्बाद हो गया। जिले का कोई भी हिस्सा बर्बादी की चपेट में आने से नहीं बचा।

ताजमहल की दो मीनारें धराशायी, कलश भी गिरे 

बुधवार को आई तेज रफ्तार से आए तूफान से ताजमहल में भारी नुकसान हुआ है। यहां की दो मीनारें गिर गईं। एक रॉयल गेट और दूसरी दक्षिणी के गेट की मीनार गिरी है। यहां लगे कलश भी गिर कर टूट गए। इसके अलावा मुख्य गुंबद पर लगे कुछ पत्थर भी टूटकर नीचे गिर गए। वहीं फोरकोर्ट में खड़ा नीम का पेड़ भी धराशायी हो गया।

पुरातत्व विभाग के अधिकारी देर रात तक मौके पर पहुंचकर नुकसान का आंकलन करने में जुटे हुए थे।
ताजमहल के इन गेटों का निर्माण 1631 से 1638 के बीच हुआ था। इनमें अभी कुछ दिन पूर्व छह मार्च को रायल गेट के कुछ पत्थर टूटकर नीचे गिरे थे। बुधवार को तेज आंधी में गेट के साइड की मीनार भरभराकर नीचे गिर पड़ी।

इसके अलावा दक्षिणी गेट की भी एक मीनार टूटकर नीचे गिर गई। वहीं फोरकोर्ट में लगा वर्षों पुराना नीम का एक पेड़ भी तूफान की भेंट चढ़ गया। इसके किनारे बना चबूतरा तहस-नहस हो गया। रायल गेट और दक्षिणी गेट पर लगे कलश टूटकर नीचे गिर गए। ताजमहल के मुख्य गुंबद पर लगे कुछ पत्थर भी तेज आंधी में नीचे आ गिरे।

अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम ने बताया कि मीनारों और पेड़ के गिरने के कारण काफी नुकसान हुआ है। नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। आशंका जताई कि आंधी से कुछ और भी नुकसान हुआ होगा। इसका भी पता लगाया जा रहा है। कर्मचारियों को मौके पर भेज दिया गया है।